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Friday 20 March 2020

जनता कर्फ्यू क्या है और किस दिन लागू होगा ? जनता कर्फ्यू क्यों जरूरी?

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जनता कर्फ्यू क्या है और किस दिन लागू होगा ?
जनता कर्फ्यू क्या है और किस दिन लागू होगा ?
जनता कर्फ्यू क्या है और किस दिन लागू होगा ?
जनता कर्फ्यू  का जिक्र देश के प्रधान मंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी किया। जनता कर्फ्यू  का जिक्र करना बहुत ही सराहनीय है क्युकि इस वक्त एक ऐसी महामारी के दौर से गुजर रहा है जिसमें संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। चीन से फैला कोरोना वायरस अब तक दुनिया के कई देशों में अपना प्रकोप फैला चुका है। इसे देखते हुए गुरुवार (19.03.20 ) को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से जनता कर्फ्यू लगाने की अपील की है। आइए आपको बताते हैं कि जनता कर्फ्यू क्या है और ये आम कर्फ्यू से कैसे अलग सकता है 

जनता कर्फ्यू क्या है ?
" जनता द्वारा जनता के लिए "
जनता कर्फ्यू एक ऐसी स्थिति है जिसमें लोग अपने घरों तक सीमित रहते हैं और बहुत ही जरूरी काम होने पर ही परिवार में से कोई एक या दो लोग बाहर निकलते हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से अपील की है कि जनता कर्फ्यू के दौरान घर से तभी निकला जाए जब काम बेहद जरूरी हो। इन जरूरी कामों में सिर्फ अस्पताल जाना, काम पर जाना जैसे काम ही शामिल हो सकते हैं। ऐसा करने से हम कोरोना वायरस को रोकने में एक कदम आगे होंगे

इस कर्फ्यू में हम जनता के हित लिए देश के वासी अपने घरो में रहने  के लिए बाध्य नहीं होते है पर जरुरी कामों को करने की अनुमति होती है और कौनसा काम जरुरी है इसका निर्णय खुद जनता कर सकती है। ये एक तरह का अनुरोध है। पर देश की जनता का यह दायत्व है की वह देश और अपनी सुरक्षा को बनाये रखने में देश के नियमो का पालन करे , सहयोग करे। 

जनता कर्फ्यू लागू होने का दिन और समय :
बीते गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से रविवार 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का पालन करने की अपील करते हुए सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक अपने घरों में रहने की सलाह दी है।

देश और दुनिया में कोरोना वायरस का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बढ़ते हुए खतरे को देखने हुए  कोरोना से लड़ने के लिए अभी तक वैक्सीन की खोज नहीं हुई है। जानकारों का कहना है कि बीमारी से बचने का एक ही तरीका है। जितना हो अपने घर में रहें ताकि कोरोना से संक्रमित लोगों के संपर्क में आकर खुद को संक्रमित होने से बचा सकें। अभी देश में स्थिति नियंत्रण में है अगर इस चरण में सावधानी बरत ली जाएगी तो इस घातक महामारी से जीता जा सकता है, अन्यथा स्थिति गंभीर हो सकती है।

हम सबने यह सुना होगा की 

                             Prevention is Better than Cures
"रोकथाम इलाज से बेहतर है"


जनता कर्फ्यू क्या है और किस दिन लागू होगा ?

जनता कर्फ्यू के दिन खास अपील
देश में बड़ी संख्या में डॉक्टर और कुछ लोग कोरोना के खतरे से लड़ रहे हैं। जो स्वास्थ्य कर्मचारी मरीजों की सेवा कर रहे हैं उनके लिए कोरोना किसी खतरे से कम नहीं है। ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपील की है कि अपने घरों के दरवाजों, खिड़कियों और बालकनी में खड़े होकर मानवता की सेवा कर रहे लोगों का आभार व्यक्त करें।

कर्फ्यू और जनता कर्फ्यू में क्या समानता होती  है?
दोनों कर्फ्यू में एक बड़ी समानता यह है कि दोनों तरह के कर्फ्यू में जनता को अपने घरों तक सीमित रहना होता है। अगर कोई बेहद जरूरी काम है तो ही घर से बाहर निकलने की सलाह दी जाती है।

कर्फ्यू और जनता कर्फ्यू में क्या फर्क है?
कर्फ्यू और जनता कर्फ्यू में एक बड़ा फर्क है। जनता कर्फ्यू लोगों का, लोगों के लिए, लोगों की ओर से खुद पर लगाया गया कर्फ्यू है। ये एक तरह का अनुरोध है। लोगों को अपनी इच्छा से खुद को घरों तक सीमित रखना है और अगर वे बाहर निकलते हैं तो इस पर कोई एक्शन नहीं होगा। आम कर्फ्यू में अनुरोध की गुंजाइश नहीं होती है ये प्रशासन की तरफ से लगाया जाता है। प्रशासन की ओर से लगाए गए कर्फ्यू की स्थिति में नियम तोड़ने पर कार्रवाई की जा सकती है। 

क्या जनता कर्फ्यू और सिटी लॉकडाउन में फर्क है?
सिटी लॉकडाउन और आम कर्फ्यू में काफी समानता है। ये दोनों कर्फ्यू प्रशासन की तरफ से लगाए जाते हैं लेकिन जनता कर्फ्यू इन दोनों से अलग है। जनता कर्फ्यू में लोगों को स्वत: ही अपने आप को घरों तक सीमित रखना होता है। उन पर प्रशासन का कोई दबाव नहीं होता है।

पहली बार 'जनता कर्फ्यू' कब और कहा लगाया गया था 
सन 1950 में इंदुलाल याग्निक ने जनता कर्फ्यू की शुरुआत की थी। इंदुलाल याग्निक महा गुजरात आंदोलन के बड़े नेता थे। वह अलग गुजरात राज्य की मांग को लेकर हुए जोरदार आंदोलन के सूत्रधार थे। उस वक्त केंद्र और तत्कालीन बंबई सरकार ने आंदोलन को दबाने की काफी कोशिश की लेकिन इंदुलाल ने अपनी लोकप्रियता के बल पर अहमदाबाद में जनता कर्फ्यू लगवा दिया था।
उस समय अहमदाबाद में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और बंबई के मुख्यमंत्री मोरारजी देसाई की रैलियां थीं। सभाओं में जाने के लिए जनता कर्फ्यू लगे होने के कारण जनता अपने घरों से बाहर नहीं निकली और कुछ इस तरह गुजरात के अलग राज्य की मांग मान ली गई।

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