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Wednesday 18 December 2019

सुंदर पिचाई सभालेगे अल्फ़ाबेट इंक की कमान

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सुंदर पिचाई सभालेगे अल्फ़ाबेट इंक की कमान
सुंदर पिचाई सभालेगे अल्फ़ाबेट इंक की कमान

गूगल की पैरेंट कंपनी एल्फ़ाबेट इंक की कमान अब भारतीय मूल के सुंदर पिचाई  संभालेंगे.

कंपनी के सह-संस्थापक लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन के इस्तीफ़े की घोषणा के बाद इसका ऐलान किया गया है.
47 साल के पिचाई ने कहा है कि इस जोड़ी ने एक "मज़बूत नींव" की स्थापना की है जिस पर वो "निर्माण की परंपरा" जारी रखेंगे.

(पिचाई का सफ़र उल्लेखनीय और गूगल में शीर्ष तक पहुंचने की कहानी प्रेरणादायक है.)

उनका जन्म चेन्नई में हुआ था और यहीं से उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. वो अपने स्कूल की क्रिकेट टीम के कप्तान भी थे. उनकी कप्तानी में टीम ने कई क्षेत्रीय प्रतियोगिताओं में जीत का परचम लहराया था.

स्टैनफोर्ड का सफ़र
पिचाई ने आईआईटी खड़गपुर से मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए बयान में उनके शिक्षक ने कहा था कि पिचाई "अपने बैच के सबसे प्रतिभाशाली छात्र" थे.

पिचाई गुगल से कब जुड़े
पिचाई साल 2004 में गूगल से जुड़े थे और उन्होंने अपनी प्रतिभा का वहां बेहतर प्रदर्शन किया. वेब ब्राउज़र 'क्रोम' और एंड्रॉइड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे गूगल के महत्वपूर्ण प्रोडक्ट में उनका ख़ासा योगदान था.

एंड्रॉइड आज दुनिया का सबसे लोकप्रिय मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है, लेकिन इसके वर्तमान सीईओ के अपने घर में टेलीफोन तक नहीं था. उन्होंने अपने घर में 12 साल की उम्र तक टेलीफोन नहीं देखा था.

पिचाई कैसे रहते थे अपने घर में
ब्लूमबर्ग मैगज़ीन में छपे एक आलेख के मुताबिक पिचाई का पालन-पोषण साधारण परिवार में हुआ था. उनका परिवार दो कमरों के मकान में रहता था. पिचाई का अपना कोई निजी कमरा नहीं था और वो लिविंग रूम में फर्श पर सोया करते थे. उनका छोटा भाई भी ऐसा ही करता था.

उनके घर में न टीवी थी न कार. उनके पिता जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी में नौकरी करते थे और उनमें तकनीक के प्रति रुझान अपने पिता की वजह बढ़ा था.

सुंदर पिचाई कौन है
ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में उनके पिता रघुनाथ पिचाई ने कहा था, "मैं घर आता था और उससे अपने काम और उसकी चुनौतियों के बारे में बहुत सारी बातें करता था."

वो बताते हैं कि पिचाई में टेलीफोन नंबर याद रखने की अद्भुत क्षमता थी. आईआईटी से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वो अमरीका के स्टैनफोर्ड गए, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां 'टेक जीनियस' पैदा किए जाते हैं.

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