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Wednesday 22 January 2020

10 Hindi Short Stories With Moral For Kids

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(Hindi short stories with moral for kids)
10 Hindi Short Stories With Moral For Kids
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Short Stories For Kids, 10 Hindi Short Stories With Moral For Kids
(बच्चों के लिए कहानिया और उनसे शिक्षा)

1. मुर्गा  की अकल ठिकाने 
(Hindi short stories with moral for kids)
एक समय की बात है , एक गांव में ढेर सारे मुर्गा रहते थे। गांव के बच्चे ने किसी एक मुर्गे को तंग कर दिया था। मुर्गा परेशान हो गया , तब उसने सोचा अगले दिन सुबह मैं आवाज नहीं करूंगा। सब सोते रहेंगे तब मेरी अहमियत सबको समझ में आएगी , और मुझे तंग नहीं करेंगे। मुर्गा अगली सुबह कुछ नहीं बोला।  सभी लोग समय पर उठ कर अपने-अपने काम में लग गए इस पर मुर्गे को समझ में आ गया कि किसी के बिना कोई काम नहीं रुकता। सबका काम चलता रहता है। तब मुर्गा की अकल ठिकाने आयी
इसलिए कहा जाता है हमें कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। क्युकि की किसी के होने न होने से किसी का काम नहीं रुकता है

नैतिक शिक्षा – घमंड नहीं करना चाहिए। आपकी अहमियत लोगो को बिना बताये पता चलता है।
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2. शेर का आसन 
(Hindi short stories with moral for kids)
हम सबको पता है कि शेर जंगल का राजा होता है। वह अपने जंगल में सब को डरा कर रहता है। शेर भयंकर और बलशाली होता है। एक दिन शहर का राजा जंगल में घूमने गया। शेर ने देखा राजा हाथी पर आसन लगा कर बैठा है। शेर के मन में भी हाथी पर आसन लगाकर बैठने का उपाय सुझा।  शेर ने जंगल के सभी जानवरों को बताया और आदेश दिया कि हाथी पर एक आसन लगाया जाए। बस क्या था झट से आसन लग गया। शेर उछलकर हाथी पर लगे आसन मैं जा बैठा। हाथी जैसे ही आगे की ओर चलता है ,आसन हिल जाता है और शेर नीचे धड़ाम से गिर जाता है। शेर की टांग टूट गई शेर खड़ा होकर कहने लगा – ‘ पैदल चलना ही ठीक रहता है।
हमें किसी और के जैसा नहीं बनाना चाहिए बल्कि हम जिस काम में अच्छे है वह काम करना चाहिए।

नैतिक शिक्षा – जिसका काम उसी को साजे , शेर ने आदमी की नक़ल करनी चाही और परिणाम गलत साबित हुआ।

3. दोस्ती का महत्व
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समीर  गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता है। वहां समीर  को खूब मजा आता है , क्योंकि नानी के आम का बगीचा है। वहां वेद ढेर सारे आम खाता है और खेलता है। उसके पांच दोस्त भी हैं , पर उन्हें बेद आम नहीं खिलाता है।

एक  दिन की बात है , वेद को खेलते खेलते चोट लग गई। वेद के दोस्तों ने वेद  को उठाकर घर पहुंचाया और उसकी मम्मी से उसके चोट लगने की बात बताई , इस पर समीर को मालिश किया गया।

मम्मी ने उन दोस्तों को धन्यवाद किया और उन्हें ढेर सारे आम खिलाएं। समीर जब ठीक हुआ तो उसे दोस्त का महत्व समझ में आ गया था। अब वह उनके साथ खेलता और खूब आम खाता था। हमें हमेशा दुसरो की सहायता करते रहना चाहिए क्युकि पता नहीं हमें भी कब मदत की जरुरत पड़ जाये।

नैतिक शिक्षा – दोस्त सुख – दुःख के साथी होते है। उनसे प्यार करना चाहिए कोई बात छुपाना नहीं चाहिए।

4. कल्पना की शक्ति
पिंकी बहुत प्यारी लड़की है। पिंकी कक्षा दूसरी में पढ़ती है। एक दिन उसने अपनी किताब में रेलगाड़ी देखि।  उसे अपनी रेल – यात्रा याद आ गई , जो कुछ दिन पहले पापा – मम्मी के साथ की थी। पिंकी ने चौक उठाई और फिर क्या था , दीवार पर रेलगाड़ी का इंजन बना दिया। उसमें पहला डब्बा जुड़ गया , दूसरा डब्बा जुड़ गया , जुड़ते – जुड़ते कई सारे डिब्बे जुड़ गए।  जब चौक खत्म हो गया पिंकी उठी उसने देखा कक्षा के आधी दीवार पर रेलगाड़ी बन चुकी थी। फिर क्या हुआ  – रेलगाड़ी दिल्ली गई  ,  मुंबई गई   ,   अमेरिका गई  ,  नानी के घर गई ,  और दादाजी के घर भी गई।

 नैतिक शिक्षा – बच्चों के मनोबल को बढ़ाइए कल के भविष्य का निर्माण आज से होने दे।

5. शरारती चूहा
गोलू के घर में एक शरारती चूहा आ गया। वह बहुत छोटा सा था मगर सारे घर में उधम मचा के रखा था  उसने गोलू की किताब भी कुतर डाली थी। कुछ कपड़े भी कुतर दिए थे। गोलू की मम्मी जो खाना बनाती और बिना ढके रख देती , वह चूहा उसे भी चट कर जाता था। चूहा खा – पीकर बड़ा हो गया था। एक दिन गोलू की मम्मी ने एक बोतल में शरबत बनाकर रखा। शरारती चूहे की नज़र बोतल पर पड़ गयी।  चूहा कई तरकीब लगाकर थक गया था , उसने शरबत पीना था।

चूहा बोतल पर चढ़ा किसी तरह से ढक्कन को खोलने में सफल हो जाता है।  अब उसमें चूहा मुंह घुसाने की कोशिश करता है।  बोतल का मुंह छोटा था मुंह नहीं घुसता।  फिर चूहे को आइडिया आया उसने अपनी पूंछ बोतल में डाली। पूंछ  शरबत से गीली हो जाती है  उसे चाट – चाट कर  चूहे का पेट भर गया। अब वह गोलू के तकिए के नीचे बने अपने बिस्तर पर जा कर आराम से करने लगा।

नैतिक शिक्षा – मेहनत करने से कोई कार्य असम्भव नहीं होता।

6. बिल्ली बच गई
ढोलू – मोलू दो भाई थे। दोनों खूब खेलते , पढ़ाई करते और कभी-कभी खूब लड़ाई भी करते थे।  एक दिन दोनों अपने घर के पीछे खेल रहे थे। वहां एक कमरे में बिल्ली के दो छोटे-छोटे बच्चे थे। बिल्ली की मां कहीं गई हुई थी , दोनों बच्चे अकेले थे।  उन्हें भूख लगी हुई थी इसलिए  खूब रो रहे थे। ढोलू – मोलू ने दोनों बिल्ली के बच्चों की आवाज सुनी और अपने दादाजी को बुला कर लाए।

दादा जी ने देखा दोनों बिल्ली के बच्चे भूखे थे। दादा जी ने उन दोनों बिल्ली के बच्चों को खाना खिलाया और एक एक कटोरी दूध पिलाई। अब बिल्ली की भूख शांत हो गई। वह दोनों आपस में खेलने लगे। इसे देखकर ढोलू – मोलू बोले बिल्ली बच गई दादाजी ने ढोलू – मोलू को शाबाशी दी।

नैतिक शिक्षा – दूसरों की भलाई करने से ख़ुशी मिलती है।

7. रितेश के तीन खरगोश राजा
( Hindi short stories with moral for kids )
रितेश का कक्षा तीसरी में पढ़ता था।  उसके पास तीन छोटे प्यारे प्यारे खरगोश थे।  रितेश अपने खरगोश को बहुत प्यार करता था। वह स्कूल जाने से पहले पाक से हरे-भरे कोमल घास लाकर अपने खरगोश को खिलाता था। और फिर स्कूल जाता था।  स्कूल से आकर भी उसके लिए घास लाता था।

एक  दिन की बात है रितेश को स्कूल के लिए देरी हो रही थी। वह घास नहीं ला सका , और स्कूल चला गया। जब स्कूल से आया तो खरगोश अपने घर में नहीं था। रितेश ने खूब ढूंढा परंतु कहीं नहीं मिला। सब लोगों से पूछा मगर खरगोश कहीं भी नहीं मिला।

रितेश उदास हो गया रो-रोकर आंखें लाल हो गई। रितेश अब पार्क में बैठ कर रोने लगा। कुछ देर बाद वह देखता है कि उसके तीनों खरगोश घास खा रहे थे , और खेल रहे थे। रितेश को खुशी हुई और वह समझ गया कि इन को भूख लगी थी इसलिए यह पार्क में आए हैं। मुझे भूख लगती है तो मैं मां से खाना मांग लेता हूं। पर इनकी तो मैं भी नहीं है। उसे दुख भी हुआ और खरगोश को मिलने की खुशी हुई।

नैतिक शिक्षा –  जो दूसरों के दर्द को समझता है उसे दुःख छू भी नहीं पता।

8. बाज की उड़ान
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एक बार की बात है कक एक बाज का अंडा मुगी के अण्डों के बीच आ गया. कुछ दिनों  बाद उन अण्डों में
से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमे से एक था.वो उन्ही के बीच बडा होने लगा. वो वही करता जो
बाकी चूजे करते, मिटठी  में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीकी तरह चू-चू करता. बाकी
चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड पाता , और पंख फड़ फड़ाते  हुए निचे आ जाता . फिर  एक
दिन उसने  एक बाज को खुले आकाश में उडते हुए देखा, बाज बडे शान से  बेधडक उड रहा था. तब उसने
बाकी चूजों से पूछा, कि -
‘इतनी ऊंचाई पर उड़ाने वाला वह शानदार पंक्षी कौन है ’?”
तब चूजों ने कहा अरे वो बाज है, पक्षक्षयों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल  है , लेकिन  तुम
उसकी तरह नहीं  उड सकते क्युकि तुम तो एक चूजा हो!’’
बाज के बच्चे ने भी इसे सच मान लिया और कभी वैसा बनने की कोशिश नहीं  की. वो जिंदगी भर चूजों की
तरह रहा, और एक दिन बिना अपनी असली ताकत पहचाने ही मर गया.

नैतिक शिक्षा- हमें अपनी काबिलियत पर भरोसा रखना चाहिए
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दोस्तों, हममें से बहुत से लोग उस बाज की तरह ही अपनी असली potential जाने बिना एक second-class
जिंदगी जीते रहते हैं, हमारे आस-पास की mediocrity हमें भी mediocre बना देती है.हम में ये भलू जाते हैं
कि  हम अपार  सम्भावनाओ से पूर्ण  एक प्राणी हैं यह भूल कर बडे मौके को गाँवा देते हैं.

9 .अंधा घोड़ा 
शहर के नजदीक एक farm house में दो घोडे रहते थे. दूर से देखने पर वो दोनों बिलकुल एक जैसे
दिखते थे , पर पास जाने पर पता चलता था कि उसमे से एक घोडा अंधा है. पर अँधा होने के बावजूद farm
के मालिक ने उसे वहा से निकाला नहीं था बल्कि उसे और भी अधिक सुरक्षा और आराम के साथ रखा था.
अगर कोई थोडा और ध्यान  देता तो उसे ये भी पता चलता कि मालिक ने दूसरे घोडे के गले में एक घंटी
बांध रखी थी, जिसकी आवाज़ सुनकर अँधा घोड़ा उसके पास पहुंच जाता और उसके पीछे-पीछे बाडे में
घूमता. घंटी वाला घोड़ा भी अपने अंधे मित्र की परेशानी समझता, वह बीच-बीच में पीछे मुडकर देखता और
इस बात को सुनिजश्चत करता कि कही वो रास्ते से भटक ना जाए. वह ये भी सुनिजश्चत करता कि उसका
मित्र सुरक्षीत वापस अपनी जगह पर पहुच जाए, और उसके बाद ही वोअपनी जगह की ओर बढ़ता.
दोस्तों, बाडे के मालिक की तरह ही भगबान हमें बस इसलिए नहीं  छोड देते कि हमारे अन्दर कोई दोष या
कमियां हैं. वो हमारा ख्याल रखते हैं और हमें जब भी ज़रुरत होती है तो किसी ना किसी को हमारी मदद
के लिए  भेज देते हैं. कभी-कभी हम वो अंधे घोडे होते हैं,

(बच्चों के लिए कहानिया और उनसे शिक्षा)

नैतिक शिक्षा- हमें अपने दोस्तों का ख्याल रखना चाहिए और उसकी कमजोरी का मजाक नहीं बनाना चाहिए

10. तितली का संघर्ष
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एक बार एक आदमी को अपने garden में टहलते हुए किसी टहनी से लटकता हुआ एक तितली का कोकून दिखाई पड़ा. अब हर रोज़ वो आदमी उसे देखने लगा , और एक दिन उसने notice किया कि उस कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया है. उस दिन वह वही बैठ गया और घंटो उसे देखता रहा. उसने देखा कि तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही  है , पर बहुत देर तक प्रयास करने के बाद भी वो उस छेद से नहीं निकल पायी , और किर वो बिलकुल शांत हो गयी मानो उसने हार मान ली हो.
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इसलिए उस आदमी ने निश्चय किया कि  वो उस तितली की मदद करेगा. उसने एक कैंची उठायी और कोकून की opening को इतना बड़ा कर दिया की वो तितली आसानी से बाहर निकल सके. और यह हुआ, तितली बिना किसी और संघर्ष  से बाहर निकल आई, पर उसका शरीर  सूजा हुआ था,और पंख सूखे हुए थे.
वो आदमी तितली को ये सोच कर देखता रहा कि वोकिसी भी वक़्त अपने पंख फैला कर उड़ने लगेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं  हुआ. इसके उलट बेचारी तितली कभी उड़ ही नहीं पाई और उसे अपनी बाकी की जिंदगी इधर-उधर घसीटते हुए बीतानी पड़ी.
वो आदमी अपनी दया और जल्दबाजी  में ये नहीं समझ पाया की दरअसल कोकून से निकलने की प्रकिया को प्रकृति  ने इतना कठिन इसलिए  बनाया है ताकि ऐसा करने से तितली के शरीर में मौजूद तरल उसके पंखो में पहुच सके और वो छेद से बाहर निकलते ही उड़ सके.
वास्तव में कभी-कभी हमारे जीवन में संघर्ष ही  वो चीज होती जिसकी हमें सचमुच आवश्यकता होती है. यदि  हम बिना किसी  struggle के सब कुछ पाने लगे तो हम भी एक अपंग के सामान हो जायेंगे.

(बच्चों के लिए कहानिया और उनसे शिक्षा)
नैतिक शिक्षा- हमें कभी संघर्ष में किसी की सहायता नहीं लेनी चाहिए बल्कि उसका उपाए ढूढ़ना किये
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